देव उठान एकादशी
देवठान एकादशी
यद्यपि भगवान क्षण भर भी सोते नहीं है, फिर भी भक्तों की भावना के अनुसार भगवन चार मास शयन करते हैं. भगवान विष्णु के क्षीर शयन के विषय में यह कथा प्रसिद्व है कि भगवान ने भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को महापराक्रमी शंखासुर नामक राक्षस को मारा था और उसके बाद थकावट दूर करने के लिए क्षीर सागर में जाकर सो गए. वे वहां चार मास तक सोते रहे और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागे. इसी से इस एकादशी का नाम ‘देवोत्थापनी या देवठान एकादशी’ पड़ गया. इस दिन व्रत के रूप में उपवास करने का विशेष महत्व है. एकादशी को भगवान नाम के जप कीर्तन का विशेष महिमा है. कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवत्प्रीति के लिए पूजा पाठ, व्रत-उपवास आदि किया जाता है.